पोला का त्यौहार


भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ कृषि को अच्छा बनाने के लिए मवेशियों का भी सम्मान किया जाता है भारत देश में इन मवेशियों की पूजा की जाती है पोला का त्यौहार भी इन्ही में से एक है जिस दिन किसान गाय बैलो की पूजा करते है पोला का त्यौहार विशेष रूप से मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में मनाया जाता है पोला के दिन किसान अवं अन्य लोग पशुओ विशेष रूप से बैलो की पूजा करते है उन्हें अच्छे से सजाते है पोला को बैल पोला भी कहा जाता है


कब मनाया जाता है पोला त्यौहार


पोला त्यौहार भादो मास की अमावस्या को जिसे पिठौरी अमावस्या भी कहते है उस दिन मनाया जाता है यह अगस्त सितंबर महीने में आता है इस वर्ष १ सितंम्बर दिन गुरुवार को यह मनाया जायेगा महाराष्ट्र में इस त्यौहार को बड़ी धूम धाम से मानते है विशेष तोर पर विदर्भ में इस त्यौहार की बड़ी धूम रहती है यहाँ यह त्यौहार दो दिनों तक मनाया जा है यहाँ बैल पोला को मोठा पोला और दूसरे दिन को तान्हा पोला कहा जाता है


पोला नाम क्यों पड़ा


विष्णु भगवान जब कान्हा के रूप में धरती पर आये थे जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है तब जन्म से ही कंस मामा उनके जान के दुश्मन बन गए थे वे जब छोटे थे और यशोदा -वासुदेव के घर पर रहते थे तब कंस ने kai असुरो को उन्हें मारने के लिए भेजा तथा एक बार कंस ने पोलासुर नमक असुर को कान्हा को मारने के लिए भेजा और इसे भी कृष्ण ने अपनी लीला के चलते मार गिराया यह दिन भादो मास की अमावस्या का था उस दिन से यह दिन पोला कहा जाए लग यह दिन बच्चो का दिन कहा जाता है


पोला त्यौहार का महत्त्व


भारत में जहा कृषि आय का मुख्य स्त्रोत और है और ज्यादातर खेती के लिए बैलो का ही प्रयोग किया जाता है इसलिए किसान पशुओ की पूजा आराधना अवं उन्हें धन्यवाद देने के लिए इस त्यौहार को मानते है पोला दो दिन तक मनाया जाता है बड़ा पोला अवं छोटा पोला बड़े पोला में बैल को सजाकर उसकी पूजा की जाती है जबकि छोटे पोला में बच्चे खिलोने के बैल को सजधज कर मोहल्ले पड़ोस के घर घर में ले जाते है और फिर उन्हें कुछ पैसे या गिफ्ट भी दिया जाता है


महाराष्ट्र में पोला त्यौहार मनाए का तरीका


* पोला के पहले दिन किसान अपने बैल के मुँह व गले से रस्सी निकल देते है
* इसके बाद उन्हें हल्दी बेसन का लेप लगते है और तेल से उनकी मालिश की जाती है
* इसके बाद उन्हें गर्म पानी से अच्छे से नहलाया जाता है
* इसके बाद उन्हें बाजरे की बानी खिचड़ी खिलाई जाती है
* इसके बाद बैल को अच्छे से सजाया जाता है और उनके सींग को कलर किया जाता है
* इसके बाद उन्हें रंग बिरंगे कपडे पहनाये जाते है तरह तरह के जेवर फूलो की माला उन्हें पहनाई जाती है
* इन सब के साथ घर परिवार के लोग नाच गाना करते रहते है
* इस दिन का मुख्य उद्देश्य बैल के गले में बंधी पुरानी रस्सी को बदल कर नए तरीके से लगाया जाता है
* गांव के सभी लोग एक जगह पर इकट्ठे होंगे और अपने अपने पशुओ को सजाकर लाते है इस दिन सबको अपने अपने पशुओ को दिखाने का मौका मिलता है
* फिर इन सब की पूजा करके पूरे गांव में जुलूस निकाला जाता है
* इस दिन धरो में विशेष तरह के पकवान बनाते है जैसे पूरण पोली गुजिया अवं पांच तरह की सब्जियों को मिलकर मिक्स वेजिटेबल बनाया जाता है
* कई किसान इस दिन नई खेती की शुरुवात करते है
* कई जगह इस दिन मेले लगाए जाते है जहाँ कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है जैसे रेसलिंग,कबड्डी खो-खो आदि


मध्यप्रदेश अवं छत्तीसगढ़ में पोला मनाने का तरीका


मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में बहुत सी आदिवासी जाति एवं जनजाति है यहाँ के गांव में पोला के त्यौहार को बड़ी धूम धाम से मनातेहै यहाँ असली बैल की जगह लकड़ी या लोहे के बैल की पूजा की जाती है


* इस दिन घोड़े के बैल के साथ चक्की (हाथ से चलाने वाली चक्की )की भी पूजा की जाति है पहले के ज़माने मे घोड़े व बैल आजीविका का मुख्य साधन थे व चक्की से गेहू पीसा जाता था
* तरह तरह के पकवान इनको चढ़ाये जाते है जैसे सेव गुजिया मीठे खुरमे आदि बनाये जाते है
* घोड़े के ऊपर थैली रखकर उसमे पकवान रखे जाते है
* फिर अगले दिन सुबह घोड़े या बैल को लेकर बच्चे मोहल्ले पड़ोस में घर घर जाते है और सबसे उपहार के तौर पर पैसे लेते है
* इसके आलावा पोला के दिन मध्यप्रदेश अवं छत्तीसगढ़ में गेड़ी का जुलूस निकाला जाता है गेड़ी बांस से बनाया जाता है जिसमे एक लंबे बांस में नीचे १-२ फिट आड़ा करके छोटा बांस लगाया जाता है फिर इस पर बैलेंस करके खड़े होकर चला जाता है गेड़ी कई साइज की बनाती है जिसमे बच्चे बड़े सभी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है यह एक तरह का खेल है जो मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ का पारम्परिक खेल है


मारबत उत्सव







मारबत उत्सव मुख्य रूप से नागपुर रीजन में मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य शहर को कई प्रकार की बुराईओं से बचाना होता है 

इस उत्सव में लोग पुतले के द्वारा बुराई का अंत करते है और अपने भगवान और शहर को बुराइयो से बचाते है इस दिन शहर के लोग कई प्रकार के पकवान बनाते है और बच्चे और बड़े सभी नए कपड़े पहनते है और ये मानते है की अब हमारे आस पास किसी प्रकार की कोई बुराई नहीं है






इस तरह पोला का त्यौहार इंसान को जानवरो से प्यार और उनका सम्मान करना भी सिखाता है



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