Blow hot blow cold (ठंडी फूंक मारना और गरम फूंक मारना)
एक जंगल में एक wood cutter रहता था । हर सुबह वह लकड़ी काटने जंगल में जाता और शाम को उन लकड़ियो को शहर में बेच देता । एक दिन वह काफी घने जंगल में गया जहां बहुत ठण्ड थी ठण्ड के कारण उसकी उंगलिया तक अकड़ गयी थी तब उसने अपनी कुल्हाड़ी नीचे रखी और अपने हाथ को मुँह के पास लाकर फूंक फूंक कर अपने हाथ गरम करने लगा । तब उसके बेटे ने पूछा आपने ऐसा क्यों किया तो वह बोला बेटा यहाँ बहुत ठण्ड है और मै अपने हाथ गरम कर रहा हूँ जब ये फिर ठन्डे हो जाएंगे तो फिर इनको फूंक फूंक कर गरम कर लूंगा ।
ऐसा करते करते दोपहर हो गयी तो wood cutter दिन के खाने (lunch )के बारे मै सोचने लगा उसने 2 पत्थर रख कर चूल्हा बनाया और हांडी मे आलू boil होने को रखने लगा परंतु लकड़ियां गीली होने के कारण जल नहीं रही थी तब wood cutter फिर से फूंक फूंक कर उसको जलाने की कोशिश करने लगा । उसका बेटा उसको देखता रहा आलू boil हो गए थे दोनों बहुत भूखे थे wood cutter ने आलू निकाले पर आलू बहुत गरम थे तो wood cutter उनको फूंक कर ठंडा करने लगा । उसके बेटे ने सोचा अरे फिर वही काम क्या पापा आलू को जलाना चाहते है ।
थोड़ी देर तक फू-फू करने के बाद उसने उसको खाना शुरू कर दिया तब उसने अपने पापा से पूछा की सुबह आप अपने हाथों को फूंक -फूंक कर गरम कर रहे थे । और ये आलू तो पहले से ही गरम थे तो क्या आप इसको और गरम करना चाहते थे तो उसके पापा बोले अरे नहीं आलू बहुत गरम थे मै तो उसको ठंडा कर रहा था
उसके बेटे ने कहा blow hot blow cold the same breath ये impossible है ।उसने सोचा की ऐसा क्यों हुआ कि same breath से कभी ठंडा कभी गरम blow हम कैसे कर पते है ? क्योकि किसी चीज़ को ठंडा करने के लिए हम अपने मुँह को widely open करते है और हमारे मुँह से आने वाली air more and less हमारे body tempreture से same होती है। पर जब हम अपने lips को सिकोड़ कर blow करते है तो air compressed (दबी हुई ) हो जाती है और एक पतली धारा (thin stream ) से बाहर आती है और बाहर आकर फैल कर फिर ठंडी हो जाती है । इसलिए same breath से जरुरत पड़ने पर कभी गरम और कभी ठंडी air blow कर पाते है ।
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