जन्माष्टमी 2016



25 अगस्‍त को देशभर में जन्‍माष्‍टमी मनाई जाएगी। लेकिन यहां बहुत कम लोगों को पता होगा कि जन्माष्टमी से एक दिन पहले 24 अगस्‍त को भगवान श्रीकृष्ण का छठी पूजन होता है।


कंस को हुई थी आकाशवाणी, जन्‍म ले चुका है उसे मारने वाला


- मान्‍यता है कि श्रीकृष्ण का जन्म कंस की जेल में हुआ था। लेकिन जन्म के बाद माया की वजह से सभी प्रहरी सो गए।
- गोकुल के नंद भवन के पंडा विलम चौबे बताते हैं, कंस की जेल में श्रीकृष्‍ण के जन्‍म के बाद वासुदेव ने उन्‍हें गोकुल में नंदभवन पहुंचा दिया।
- इसके बाद योगमाया जेल में आ गई। जब कंस उन्‍हें मारने आया तो आकाशवाणी हुई कि उसे मारने वाला जन्‍म ले चुका है।


इस वजह से नहीं हो पाई थी बालकृष्‍ण की छठी


- अपनी मौत की खबर सुनकर कंस बौखला गया।
- उसने पूतना को आदेश दिया कि सभी 6 दिन के बच्‍चों को मार दिया जाए।
- पूतना जब गोकुल पहुंची, तो डय के मारे मां यशोदा ने बालकृष्‍ण को छिपा लिया। उनकी छठी की पूजा भी नहीं की।
- इसके बाद वह कृष्ण की छठी के बारे में भूल गईं।


इस वजह से लोगों ने श्रीकृष्‍ण के जन्‍मदिन में शामिल होने से किया था मना


- एक साल बाद जब श्रीकृष्‍ण का जन्‍मदिन आया तो मां यशोदा ने इसे बड़े धूमधाम से मनाने की बात कही।
- लेकिन उनकी सहेली चंद्रावली ने कहा, कन्‍हैया का छठी पूजन नहीं हुआ है, इसलिए कोई भी घर पर नहीं आएगा।
- इसके बाद मां यशोदा ने कन्‍हैया के जन्‍म के 364 दिन बाद सप्‍तमी को जन्‍मदिन के एक दिन पहले ही छठी पूजन किया।
- तभी से श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी से एक दिन पहले उनकी छठी मनाई जाने लगी।


इस बार 25 अगस्त को गोकुल जन्माष्टमी मनायी जायेगी। इस दिन रोहिणी नक्षत्र लग रहा है जिसके कारण इस साल लड्डू गोपाल का जन्मदिवस बहुत ज्यादा ही खास हो गया है।


ये जनमाष्टमी है बहुत खास, 52 साल बाद बनेगा सुंदर संयोग


इस बार 25 अगस्त को गोकुल जन्माष्टमी मनायी जायेगी, कान्हा जी का जन्मदिवस हर लिहाज से काफी खास होता है लेकिन इस बार की जन्माष्टमी काफी अनोखी है क्योंकि इस बार पूरे 52 साल बाद ऐसे त्रिगुण संयोग बन रहे हैं, जैसे कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के वक्त बने था


आपको बता दें जिस समय मां देवकी के गर्भ से वासुदेवनंदन का जन्म हुआ था, उस समय रोहिणी नक्षत्र था और भादो की अष्टमी थी। ऐसे नक्षत्र साल 1958 में बने थे। उसके बाद इस साल यानी 25 अगस्त 2016 को बन रहे हैं।


इसलिए इस बार का कान्हा जी का जन्मदिन काफी प्रभावी और खुशियां देने वाला है, पंडितों के मुताबिक इस दिन सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से जातक की हर मुराद पूरी होगी। अच्छे फल पाने के लिए इस दिन जातक गरीबों को खाना खिलाएं और दान-पुण्य करें तो आने वाले दिन उनके लिए अच्छे साबित होंगे।


आइये जानते हैं जन्माष्टमी की पूजा करने का सही मुहूर्त और समय


काशी के ज्योतिष पंडित दिवाकर शर्मा के मुताबिक 24 अगस्त को रात 10:17 मिनट से ही अष्टमी लग जायेगी। लेकिन व्रत रखने का अच्छा दिन गुरूवार को ही है इसलिए इच्छुक जातक इसी दिन को व्रत रखे। इस बार इस रोहिणी नक्षत्र लग रहा है इसलिए निशिता पूजा का बेस्ट समय मध्यरात्रि यानी कि 12 बजे से लेकर 12: 45 बजे तक है।  इस वक्त उपवास रखने वाले पूजा करके प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं, जबकि पारण का समय 26 तारीख को सुबह 10 बजकर 52 मिनट है लेकिन जो लोग पारण को नहीं मानते वो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद और पूजा करने के बाद यानी कि रात 12: 45 बजे के बाद अपना व्रत तोड़ सकते हैं।


ऐसे हुआ था श्री कृष्ण-बलराम का नामकरण संस्कार


वसुदेवजी की प्रार्थना पर यदुओं के पुरोहित महातपस्वी गर्गाचार्यजी ब्रज पहुंचे। उन्हें देखकर नंद अत्यधिक प्रसन्न हुए। उन्होंने हाथ जोड़कर प्रणाम किया और विष्णुतुल्य मानकर उनकी पूजा की। इसके पश्चात नंदजी ने उनसे कहा- आप मेरे इन दोनों बच्चों का नामकरण संस्कार कर दीजिए।
किन्तु गर्गाचार्यजी ने कहा कि ऐसा करने में कुछ अड़चनें हैं। मैं यदुवंशियों का पुरोहित हूं, यदि मैं तुम्हारे इन पुत्रों का नामकरण संस्कार कर दूं तो लोग इन्हें देवकी का ही पुत्र मानने लगेंगे क्योंकि कंस तो पापमय बुद्धि है। वह सर्वदा निरर्थक बातें ही सोचता है। दूसरी ओर तुम्हारी व वसुदेव की मैत्री है।

अब मुख्य बात यह है कि देवकी की आठवीं संतान लड़की नहीं हो सकती क्योंकि योगमाया ने कंस से यही कहा था- अरे पापी मुझे मारने से क्या फायदा है? वह सदैव यही सोचता है कि कहीं न कहीं मुझे मारने वाला अवश्य उत्पन्न हो चुका है। यदि मैं नामकरण संस्कार करवा दूंगा तो मुझे पूर्ण आशा है कि वह बच्चों को मार डालेगा और सबका अत्यधिक अनिष्ट करेगा।

नंदजी ने गर्गाचार्यजी से कहा यदि ऐसी बात है तो किसी एकान्त स्थान में चलकर स्वस्त्ययनपूर्वक इनके द्विजाति संस्कार करवा दीजिए। इस विषय में मेरे अपने आदमी भी न जान सकेंगे। नंद की इन बातों को सुनकर गर्गाचार्य ने एकान्त में छिपकर बच्चे का नामकरण करवा दिया। नामकरण करना तो उन्हें अभीष्ट ही था, इसीलिए वे आए थे।


गर्गाचार्यजी ने वसुदेव से कहा- रोहिणी का यह पुत्र गुणों से अपने लोगों के मन को प्रसन्न करेगा। अतः इसका नाम राम होगा। इसी नाम से यह पुकारा जाएगा। इसमें बल की अधिकता अधिक होगी। इसलिए इसे लोग बल भी कहेंगे। यदुवंशियों की आपसी फूट मिटाकर उनमें एकता को यह स्थापित करेगा, अतः लोग इसे संकर्षण भी कहेंगे। अतः इसका नाम बलराम होगा।


अब उन्होंने यशोदा और नंद को लक्ष्य करके कहा- यह तुम्हारा दूसरा पुत्र प्रत्येक युग में अवतार ग्रहण करता रहता है। कभी इसका वर्ण श्वेत, कभी लाल, कभी पीला होता है। पूर्व के प्रत्येक युगों में शरीर धारण करते हुए इसके तीन वर्ण हो चुके हैं। इस बार कृष्णवर्ण का हुआ है, अतः इसका नाम कृष्ण होगा। तुम्हारा यह पुत्र पहले वसुदेव के यहां जन्मा है, अतः श्रीमान वासुदेव नाम से विद्वान लोग पुकारेंगे।

तुम्हारे पुत्र के नाम और रूप तो गिनती के परे हैं, उनमें से गुण और कर्म अनुरूप कुछ को मैं जानता हूं। दूसरे लोग यह नहीं जान सकते। यह तुम्हारे गोप-गौ एवं गोकुल को आनंदित करता हुआ तुम्हारा कल्याण करेगा। इसके द्वारा तुम भारी विपत्तियों से भी मुक्त रहोगे।

इस पृथ्वी पर जो भगवान मानकर इसकी भक्ति करेंगे उन्हें शत्रु भी पराजित नहीं कर सकेंगे। जिस तरह विष्णु के भजने वालों को असुर नहीं पराजित कर सकते। यह तुम्हारा पुत्र सौंदर्य, कीर्ति, प्रभाव आदि में विष्णु के सदृश होगा। अतः इसका पालन-पोषण पूर्ण सावधानी से करना। इस प्रकार कृष्ण के विषय में आदेश देकर गर्गाचार्य अपने आश्रम को चले गए।


गोकुल में जो करे निवास
गोपियों संग जो रचाये रास
देवकी -यशोदा है जिनकी मैया
ऐसे है हमारे कृष्ण कन्हइया


जय श्री कृष्णा आप सभी को apnilifeok परिवार की ओर से शुभ जन्माष्टमी ।

Shri Krishna Janmaashtami



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