आश्चर्यजनक तथ्य मधुमक्खियों के बारे में(some honey bee facts)


मधुमक्खियों का नाम आते ही अक्सर सबसे पहले हम यही सोचते है की उनके काटने पर बहुत दर्द होता है मगर एक सच्चाई यह भी है कि बहुत सारे healing और health benifit हमे इस छोटे और व्यस्त जीव से प्राप्त होते है


* मधुमक्खियां हमारे आस पास हजारो सालो से है


* मधुमक्खी का वैज्ञानिक नाम apis mellifera है जिसका अर्थ शहद को ले जाने वाली bee है ये पर्यावरण फ्रेंडली होने के साथ साथ परागण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है


* मधुमक्खियां अकेली ऐसी incect है जो ऐसी चीज तैयार करती है जो कि मनुष्यो के खाने लायक है


* शहद एक इस खाद्य पदार्थ है जिसमे कि जीवन को बनाये रखने के सारे आवश्यक तत्व मौजूद है जैसे कि एंजाइम ,विटामिन ,मिनरल्स और पानी और सिर्फ शहद में ही "pinocembrin" नामक एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो कि ब्रेन के काम करने कि क्षमता को बढ़ाता है


* मधुमक्खी के 6 पैर 2 संयुक्त आँखे जिसमे हजारो tiny लेंस लगे होते है सिर के दोनों तरफ होती है 3 simple आंखे सिर के ऊपर के ओर 2 pair पंख ,1 नेक्टर पाउच और stomach होता है


* मधुमक्खी में 170 गंध ग्राहिकाए होती है इनकी अदभुत सूघने कि शक्ति के कारण ये सिग्नल्स और social communication के द्वारा खाने को पहचान लेती है और कई मीटर कि दूरी से फूलो कि गंध पहचान लेती है


* इनकी पंखो को चलने कि गति भी काफी तेज होती हाई लगभग 200 beats per सेकंड अपनी buzz कि आवाज के साथ ये करीब १५ मील पर घंटे कि उड़ान भर सकती है


* अपने जीवन काल में एक औसत worker bee १/12th शहद बनाती है


* एक मधुमक्खी ५० -१०० फूलो पर जाती है शहद इकठ्ठा करते समय


* मधुमक्खी का दिमाग ओवल शेप का होता जिसका साइज तिल के बीज के बराबर होता है और इनमे अदभुत क्षमता होती है चीजो को याद रखने कि और दूरी का हिसाब लगाने कि जो कि वो भोजन कि खोज में तय करती है


* मधुमक्खी कि कॉलोनी में लगभग 20000 -60000 मधुमक्खियां तथा एक रानी होती है वर्कर bees मादा होती है जो कि ६ हफ्ते जीवित रहती है और सारा काम करती है


* रानी मधुमक्खी का जीवन 5 साल का होता है और उसका काम छाते को अंडो से भरना होता है और गर्मियों में वह सबसे ज्यादा busy होती है जब वह 2500 अंडे रोज देती है


* हर मधुमक्खी कि कॉलोनी में एक अलग गंध होती है जो कि उनके मेंबर्स को पहचानने में मदद करती है


* वर्कर मधुमक्खी honeycomb बनाती जो कि hexagone शेप का होता है और फूलो के रास को इकट्ठा करके बनाया जाता है 1 pound beewax बनाने के लिए 6 -7 pound शहद की आवश्यकता होती है


* मधुमक्खियां आपस में बात करने के लिए एक अलग तरह का नृत्य भी करती है


* सिर्फ वर्कर bee डंक मारती है वो भी तब जब उसे किसी खतरे की आशंका हो और डंक मारने के बाद वह खुद मर जाती है रानी मधुमक्खी में भी डंक होता मगर वह अपना छत्ता कभी नहीं छोडती एक अनुमान के मुताबिक 1100 मधुमक्खयो के डंक प्राणघातक होते है


* सर्दियों में मधुमक्खियां उस शहद को उपयोग करती है जो उन्होंने गर्मी के दिनों में इकठ्ठा किया होता है सर्दियों में वे अपने छत्ते के आस पास एक घना गुच्छा जैसा बना लेती है जो उन्हें और उनकी रानी को गरम रखता है

* मधुमक्खियां शहद जैसी उपयोगी चीज बनाती है और इतनी highly organise कॉलोनी में रहती है इसलिए इनकी कॉलोनीज को superorganism भी कहा जाता है


"If the bee disappears from the surface of the earth, man would have no more than four years to live?"
~ Albert Einstein


कृषि उत्पादन में मधुमक्खियों का महत्त्व


परागणकारी जीवों में मधुमक्खी का विषेष महत्त्व है। इस संबंध में अनेक अध्ययन भी हुए हैं। सी.सी. घोष, जो सन् 1919 में इम्पीरियल कृषि अनुसंधान संस्थान में कार्यरत थे, ने मधुमक्खियों की महत्ता के संबंध में कहा था कि यह एक रुपए की शहद व मोम देती है तो दस रुपए की कीमत के बराबर उत्पादन बढ़ा देती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में कुछ फसलों पर परागण संबंधी परीक्षण किए गए। सौंफ में देखा गया कि जिन फूलों का मधुमक्खी द्वारा परागीकरण होने दिया गया उनमें 85 प्रतिशत बीज बने। इसके विपरीत जिन फूलों को मधुमक्खी द्वारा परागित करने से रोका गया उनमें मात्र 6.1 प्रतिशत बीज ही बने थे। यानी मधुमक्खी, सौंफ के उत्पादन को करीब 15 गुना बढ़ा देती है। बरसीम में तो बीज उत्पादन की यह बढ़ोत्तरी 112 गुना तथा उनके भार में 179 गुना अधिक देखी गई। सरसों की परपरागणी 'पूसा कल्याणी' जाति तो पूर्णतया मधुमक्खी के परागीकरण पर ही निर्भर है। फसल के जिन फूलों में मधुमक्खी ने परागीकृत किया उनके फूलों से औसतन 82 प्रतिशत फली बनी तथा एक फली में औसतन 14 बीज और बीज का औसत भार 3 मिलिग्राम पाया गया। इसके विपरीत जिन फूलों को मधुमक्खी द्वारा परागण से रोका गया उनमें सिर्फ 5 प्रतिशत फलियां ही बनीं। एक फली में औसत एक बीज बना जिसका भार एक मिलिग्राम से भी कम पाया गया। इसी तरह तिलहन की स्वपरागणी किस्मों में उत्पादन 25-30 प्रतिशत अधिक पाया गया। लीची, गोभी, इलायची, प्याज, कपास एवं कई फलों पर किए गए प्रयोगों में ऐसे परिणाम पाए गए।


मधुमक्खी पालन के लाभ


पुष्परस व पराग का सदुपयोग, आय व स्वरोजगार का सृजन |
शुद्व मधु, रायल जेली उत्पादन, मोम उत्पादन, पराग, मौनी विष आदि |
३ बगैर अतिरिक्त खाद, बीज, सिंचाई एवं शस्य प्रबन्ध के मात्र मधुमक्खी के मौन वंश को फसलों के खेतों व मेड़ों पर रखने से कामेरी मधुमक्खी के पर परागण प्रकिया से फसल, सब्जी एवं फलोद्यान में सवा से डेढ़ गुना उपज में बढ़ोत्तरी होती है |
मधुमक्खी उत्पाद जैसे मधु, रायलजेली व पराग के सेवन से मानव स्वस्थ एवं निरोगित होता है | मधु का नियमित सेवन करने से तपेदिक, अस्थमा, कब्जियत, खूल की कमी, रक्तचाप की बीमारी नहीं होती है | रायल जेली का सेवन करने से ट्यूमर नहीं होता है और स्मरण शक्ति व आयु में वृद्वि होती है | मधु मिश्रित पराग का सेवन करने से प्रास्ट्रेटाइटिस की बीमारी नहीं होती है | मौनी विष से गाठिया, बताश व कैंसर की दवायें बनायी जाती हैं | बी- थिरैपी से असाध्य रोगों का निदान किया जाता है |
मधुमक्खी पालन में कम समय, कम लागत और कम ढांचागत पूंजी निवेश की जरूरत होती है,
कम उपजवाले खेत से भी शहद और मधुमक्खी के मोम का उत्पादन किया जा सकता है,
मधुमक्खियां खेती के किसी अन्य उद्यम से कोई ढांचागत प्रतिस्पर्द्धा नहीं करती हैं,
मधुमक्खी पालन का पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मधुमक्खियां कई फूलवाले पौधों के परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस तरह वे सूर्यमुखी और विभिन्न फलों की उत्पादन मात्रा बढ़ाने में सहायक होती हैं,
शहद एक स्वादिष्ट और पोषक खाद्य पदार्थ है। शहद एकत्र करने के पारंपरिक तरीके में मधुमक्खियों के जंगली छत्ते नष्ट कर दिये जाते हैं। इसे मधुमक्खियों को बक्सों में रख कर और घर में शहद उत्पादन कर रोका जा सकता है,
मधुमक्खी पालन किसी एक व्यक्ति या समूह द्वारा शुरू किया जा सकता है,
बाजार में शहद और मोम की भारी मांग है।




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