थायरॉइड ग्लैंड [ग्रंथि ]गर्दन में स्थित सबसे बड़ी ग्रंथि होती है थायरॉइड हॉर्मोन बनाना ही थायरॉइड का एकमात्र कार्य होता है ये हॉर्मोन्स शरीर के लगभग सभी अवयवो को प्रभावित करते है थायरॉइड ग्लैंड शरीर के विकास परिवर्तन और पाचन क्रिया का संचालन करती है इसके दो भाग होते है और वायु नलिका के दोनों तरफ स्थित होती है थायरोक्सिन [आयोडीन युक्त हॉर्मोन ] नामक हॉर्मोन की हेल्प से ये ग्रंथि अपना काम करती है यदि इस ग्लैंड से कम मात्रा में हॉर्मोन का स्त्राव होता है तो हाइपोथायरॉइडिस्म या मिक्सोडीमा नामक बीमारी हो जाती है इस बीमारी से पाचन क्रिया धीमी हो जाती है व्यक्ति का वजन बढ़ाने लगता है और नाड़ी की गति धीमी हो जाती है यदि हॉर्मोन का रिसाव अधिक मात्रा मे होता है तो चयापचय प्रक्रिया बढ़ जाती है ऐसे में मरीज को घबराहट ,गर्मी के प्रति संवेदनशील और उसका वजन कम हो जाता है
थायरॉइड गलांड के संतुलित स्त्राव शरीर के हर हिस्से के लिए बहुत जरूरी है जन्म से ही,ब्रेन सेल्स ,ग्रोथ,शरीर के विकास से लेकर मैच्योरिटी पीरियड,सेक्सुअल मैच्योरिटी आदि में यानि की शरीर के हर हिस्से के हर पड़ाव पर इसकी जरूरत होती है इसलिए थायरॉइड ग्लैंड कम हो जाये या बढ़ जाये दोनों ही सूरत में मरीज को तकलीफ हो सकती है
थायरॉइड आज कल आम समस्या हो गयी है यदि मरीज को देख कर डॉक्टर को जरा भी आशंका हो तो वह थायरॉइड टेस्ट करने की सलाह देते है आज कल कई हेल्थ चेकअपकके साथ थायरॉइड टेस्ट को भी जरूरी टेस्ट में शामिल किया गया है कजाएसे किडनी ,शुगर ,कोलेस्ट्रॉल का टेस्ट करते है ठीक उसी तरह थायरॉइड टेस्ट भी सामान्य रूटीन में शामिल हो गया है
थायरॉइड के तीन टेस्ट होते है
टी थ्री
टी फोर
टीएसएच
हर 10 में से 7 -8 मरीज महिलाए होति है महिलाओ मे कई कारणों से किसी भी उम्र में थायरॉइड की समस्या हो सकती है यानि नवजात शिशु से लेकर किसी भी उम्र तक ,विशेष रूप से ४० की उम्र के आस पास मीनोपॉज के करीब आने पर थायरॉइड की प्रॉब्लम अधिक होती है
कारण
थायरॉइड की समस्या के दो मुख्य कारण है
1 यह आयोडीन की कमी के कारण अधिक होता है
2 ऑटो इम्यून थायरॉइड डिसऑर्डर से ,इसके कारण शरीर में अपने आप ऐसी चीजे बनने लगती है जो थायरॉइड को बाधित करती है कभी इसका स्तर ज्यादा हो जाता है तो कभी कम इसका हमारे पास कोई कण्ट्रोल नहीं होता ऐसे में बस जल्द से जल्द प्रॉब्लम को डाइग्नोस करना चाहिए
थायरॉइड कम हो जाने पर शरीर में प्रभाव
1 वजन बढ़ने लगता है
2 भुख कम लगती है
3 काम करने में मन नहीं लगता
4 कब्ज की शिकायत रहती है
5 थकान व् आलस होता है
6 त्वचा रूखी हो जाती है
7 बाल गिरने लगते है
थायरॉइड बढ़ जाने पर शरीर में प्रभाव
1 वजन कम होने लगता है
२ भूख बहुत लगती है
३. डायरिया हो जाता है
४ skin चिपचिपी हो जाती है
५ घबराहट और छाती ने दर्द होने की शिकायत हो सकती है ६ यदि आँखे मलने पर आवाज करे तो यह बहुत अधिक थायरॉइड के सक्रिय होने का संकेत है
कुछ जरूरी बातें
1 .अक्सर लोगो में इसकी दवाइयों के साइड इफेक्ट्स का डर रहता है जबकि ऐसा नहीं है थायरॉइड की दवाई बेहद सुरक्षित है
2 . इसमें सिर्फ इतना ध्यान देना है की यदि आपको हाइपोथायरायडिज्म है तो ये ज्यादातर जीवन भर रहता है लेकिन दूसरा पहलू यह भी है की स्थिति सुधरने पर दवाइयां बंद भी हो सकती है
3 हायपोथायरॉइडिस्म में ५०% सम्भावना रहती है की यह बीमारी अपने आप ठीक हो जाये जबकि ५०%लोगो को डोज लेना पड़ता है
4 यदि माँ को थायरॉइड है तो बच्चे को भी हो सकता है जिसकी वजह जीन्स के साथ वातावरण भी होता है
5 प्रेगनेंसी में थायरॉइड एक गंभीर समस्या है कई बार यदि गर्भावस्था में आप हायपोथायरॉइडिस्म या हायपरथायरॉइडिस्म पहचान नहीं पाते तो गर्भपात की सम्भावना हो सकती है और यद्दी गर्भधारण हो भी गया तो आगे चलकर बच्चे को तकलीफ हो सकती है पर इसके लिए टेस्ट द्वारा पता किया जा सकता है
6 डिलीवरी के बाद शिशु का थायरॉइड टेस्ट जरूर करना चाहिए
थायरॉइड प्रॉब्लम से बचाव के लिए आसन और प्राणायाम
सर्वांगासन
पीठ के बल लेट जाये हाथ दोनों ओर बगल में रखे हथेलिया जमीन पर हो उलटी साँस लेकर पैरो को धीरे धीरे उठाये पंजे ताने हुए हो पैर के अंगूठे पर दृष्टि हो थोड़ी देर बाद साँस छोड़ते हुए पैरो को नीचे लाये जितनी देर सर्वांगासन करे उतनी देर शवासन करनाभी जरूरी है धीरे धीरे टाइम बढ़ाये
उष्ट्रासन
उष्ट्रासन करने के लिए पहले वज्रासन की स्थिति में बैठे एड़ियो को खड़ा करके उन पर दोनों हाथो को रखे हाथो को इस प्रकार रखे की उंगलिया अंदर की ओर और अंगूठा बाहर हो साँस अंदर भरकर सर और गले को पीछे मोड़ते हुए कमर को ऊपर उठाये साँस छोड़ते हुए एड़ियो पर बैठ जाये इस तरह तीन चार बार करे
मत्स्यासन
पद्मासन की स्थिति में बैठ कर हाथो से सहारा लेते हुए पीछे कुहनियां टीकाकार लेट जाये हथेलियों को कंधे से पीछे टेककर उनसे सहारा लेते हुए गले को जितना पीछे मोड़ सकते है मोड़ेपीठ और छाती ऊपर उठी हुई तथा घुटने भूमि पर टिके हुए हो हाथो से पैर के अंगूठे पकड़ कर कुहनियों को भूमि पर टिकाये साँस अन्दर भरकर रखे आसन छोड़ते समय जिस स्थिति में शुरू किया था उसी स्थिति में वापस आ जाये या कंधे और सर को जमीन पर टिकाते हुए पैरो को सीधा करके शवासन में लेट जाये मत्स्यासन सर्वांगासन का प्रतियोगी आसन है अतः इसे सर्वांगासन के बाद करना चाहिए
भुजंगासन
इस आसान में गर्दन को उठाकर साँस लेने और छोड़ने की क्रिया करते है जिससे थायरॉइड ग्लैण्ड पर दबाव पड़ता है और वह सुचारू रूप से कार्य करती है
हलासन
हलासन करने के लिए पीठ के बल लेट जाये फिर अपने दोनों पैरो को उठाते हुए पीछे की ओर ले जाते है और फिर धीरे धीरे वापस लाना है इस क्रिया को 4 -5 बार करना है
उज्जाई प्राणायाम
इस प्राणायाम में गले से छूती हुई लंबी गहरी साँस लेना औरफिर गले से सरसराहट की ध्वनि निकालते हुए धीरे धीरे छोड़ना है
कपालभाति प्राणायाम इस प्राणायाम को करते समय सुखासन में बैठकर दोनों हाथो को घुटनो पर रखकर बैठना है फिर पेट को अंदर लेते हुए साँस बाहर छोड़ना है यह प्राणायाम थायरॉइड की प्रॉब्लम के लिए बहुत लाभदायक है
आम प्रॉब्लम थायरॉइड
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