गायत्री-मन्त्र (Gayatri Mantra)-Gayatri Mantra Benefits in Hindi
गायत्री मंत्र:- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र का जाप करने से उत्साह एवं सकारात्मकता से आपकी त्वचा में चमक आती है, तामसिकता से घृणा, और परमार्थ में रूचि जागती है, पूर्वाभास होने लगता है, आशीर्वाद देने की शक्ति बढ़ती है, नेत्रों में तेज आता है, स्वप्न सिद्ध हो जाते हैं, क्रोध शांत होता है, ज्ञान की वृद्धि होती है।
पंडित 'विशाल' दयानंद शास्त्री बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति जीवन की समस्याओं से बहुत त्रस्त है तो उसकी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। वह पीपल, शमी, वट, गूलर, पाकर की समिधाएं लेकर एक पात्र में कच्चा दूध भरकर रख लें एवं उस दूध के सामने एक हजार गायत्री मंत्र का जाप करें। इसके बाद एक-एक समिधा को दूध में स्पर्श करा कर गायत्री मंत्र का जप करते हुए अग्रि में होम करने से समस्त परेशानियों एवं दरिद्रता से मुक्ति मिल जाती है।
इस मंत्र का जाप एक ऐसा उपाय है जिससे लगभग हर प्रकार की समस्या को दूर किया जा सकता है। सभी शास्त्रों में मंत्रों को बहुत ही शक्तिशाली और चमत्कारी माना जाता है। लेकिन सभी मंत्रों में 'गायत्री मंत्र' को वेदों का सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है। गायत्री मंत्र चार वेदों से आया है और ये 24 शब्दांशों से बना है। जो सीधे आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। गायत्री मंत्र के जाप से नहीं बल्कि इसे सुनने मात्र से ही आपके स्वास्थ्य को कई प्रकार से लाभ पहुंचते हैं। जर्मन वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति मंत्र का जाप नहीं भी करे, सिर्फ सुन भी ले तो भी उसके शरीर पर इसका प्रभाव पड़ता है।
भगवान सूर्य की स्तुति में किए जाने वाले इस मंत्र का अर्थ ....
गायत्री मंत्र के पहले नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं...आइए जानें कैसे।
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख प्रदाण करने वाला
तत = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य
धियो = बुद्धि,
यो = जो,
नः = हमारी,
प्रचोदयात् = हमें शक्ति देने वाला (प्रार्थना)
यानी उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे। यदि कोई व्यक्ति इस मंत्र का जप नियमित रूप से करता है तो उसके अदंर उत्साह और सकारात्मकता आती है और त्वचा में चमक बढ़ती है, तामसिकता से घृणा होती है, परमार्थ में रुचि जगती है, पूर्वाभास होने लगता है, नेत्रों में तेज आता है, क्रोध शांत होता है, ज्ञान में वृद्धि होती है। आइए गायत्री मंत्र जप के स्वास्थ्य लाभ के बारे में जानते हैं।
विद्यार्थीयों के लिए: गायत्री मंत्र का जप सभी के लिए उपयोगी है किंतु विद्यार्थियों के लिए तो यह मंत्र बहुत लाभदायक है। रोजाना इस मंत्र का एक सौ आठ बार जप करने से विद्यार्थी को सभी प्रकार की विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है। विद्यार्थियों को पढऩे में मन नहीं लगना, याद किया हुआ भूल जाना, शीघ्रता से याद न होना आदि समस्याओं से निजात मिल जाती है।
दरिद्रता के नाश के लिए : यदि किसी व्यक्ति के व्यापार, नौकरी में हानि हो रही है या कार्य में सफलता नहीं मिलती, आमदनी कम है तथा व्यय अधिक है तो उन्हें गायत्री मंत्र का जप काफी फायदा पहुंचाता है।
दिमाग को शांत रखे और तनाव दूर करे
अगर आप तनाव से ग्रस्त रहते हैं तो गायत्री मंत्र का जाप करें। इसका जप करने से आपका दिमाग शांत रहेगा। साथ ही इसके लगातार जप करने से यह आपको आने वाले तनाव से भी बचाएगा। कहा गया है कि जब भी कोई व्यक्ति गायत्री मंत्र का पाठ करता है तो अनेक प्रकार की संवेदनाएं इस मंत्र से होती हुई व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं। इसके जप से दिमाग ही नहीं शांत होता है बल्कि पढ़ने वाले बच्चों की एकाग्रता और सीखने की क्षमता भी अच्छी रहती है। साथ ही गायत्री मंत्र के उच्चारण से शरीर में पॉजिटिव एनर्जी आती है।
इम्यूनिटी बढ़ाये और तंत्रिकाओं के कार्य में सुधार
गायत्री मंत्र का उच्चारण 'ऊँ' शब्द से शुरू होता है। जिसके उच्चारण से होंठ, जीभ, तालू, गला और सिर के पिछले भाग में आवाज प्रतिध्वनित होती है जिससे मन शांत होता है। इस मंत्र के शब्दांशों के उच्चारण से मन एकाग्र हो जाता है जिससे हमारे शरीर की ऊर्जा बढ़ती है। इसी कंपन से हमारी तंत्रिकाओं को ताकत मिलती है जिससे हमारी तंत्रिकाएं स्वास्थ्य रहती हैं।
सांस के रोगों से छुटकारा
गायत्री मंत्र के उच्चारण से आपकी सांस क्रिया बेहतर होती है। इसके रोज जप करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है, साथ ही शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह भी बढ़ता है। इसके अलावा गायत्री मंत्र का जप करते वक्त लंबी और गहरी सांस लेनी और छोड़नी-पड़ती है जिससे फेफड़ों को मजबूती मिलती है और सांस-रोग जैसे अस्थमा को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
दिल को स्वस्थ रखें और त्वचा को चमकदार बनाये
गायत्री मंत्र का जप आपके फेफड़ों के साथ-साथ दिल को भी स्वस्थ रखता है। ब्रिटिश मेडकल जर्नल के अनुसार गायत्री मंत्र के जाप से सांस लेने की गति कम हो जाती है जिससे दिल के धड़कन की गति नियंत्रित रहती है और दिल को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। इसके अलावा गायत्री मंत्र का जाप करने से त्वचा में चमक आती है। गायत्री मंत्र के जप से हमारे चेहरे की त्वचा में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है, और त्वचा से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं जिससे त्वचा में चमक आती है और त्वचा कई गुना निखर जाती है।
गायत्री उपासना कभी भी, किसी भी स्थिति में की जा सकती है। हर स्थिति में यह लाभदायी है।
मंत्र जप एक ऐसा उपाय है, जिससे सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। शास्त्रों में मंत्रों को बहुत शक्तिशाली और चमत्कारी बताया गया है। सबसे ज्यादा प्रभावी मंत्रों में से एक मंत्र है गायत्री मंत्र। इसके जप से बहुत जल्दी शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं।
गायत्री मंत्र जप का समय (Gayatri Mantra Jap ka Samay): गायत्री मंत्र जप के लिए तीन समय बताए गए हैं, जप के समय को संध्याकाल भी कहा जाता है।
गायत्री मंत्र के जप का पहला समय है सुबह का। सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए। जप सूर्योदय के बाद तक करना चाहिए।
मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर का। दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है।
इसके बाद तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त से कुछ देर पहले। सूर्यास्त से पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए।
यदि संध्याकाल के अतिरिक्त गायत्री मंत्र का जप करना हो तो मौन रहकर या मानसिक रूप से करना चाहिए। मंत्र जप अधिक तेज आवाज में नहीं करना चाहिए।