दीपो का पर्व दिवाली- Diwali the Festival of Lights
दिवाली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात 'दिया' व 'आवली' अर्थात 'लाइन' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से हुई है। इसके उत्सव में घरों के द्वारों, घरों व मंदिरों पर लाखों प्रकाशकों को प्रज्वलित किया जाता है। दीपावली जिसे दिवाली भी कहते हैं उसे अन्य भाषाओं में अलग-अलग नामों से पुकार जाता है जैसे : 'दीपावली' (उड़िया), दीपाबॉली'(बंगाली), 'दीपावली' (असमी, कन्नड)
दिवाली को रोशनी का त्योहार के रुप में जाना जाता है जो भरोसा और उन्नति लेकर आता है। हिन्दू, सिक्ख और जैन धर्म के लोगों के लिये इसके कई सारे प्रभाव और महत्ता है। ये पाँच दिनों का उत्सव है जो हर साल दशहरा के 21 दिनों बाद आता है। इसके पीछे कई सारी सांस्कृतिक आस्था है जो भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद अपने राज्य के आगमन पर मनाया जाता है। इस दिन अयोध्यावासीयों ने भगवान राम के आने पर आतिशबाजी और रोशनी से उनका स्वागत किया।
दिपावली के दौरान लोग अपने घर और कार्यस्थली की साफ-सफाई और रंगाई-पुताई करते है। आमजन की ऐसी मान्यता है कि हर तरफ रोशनी और खुले खिड़की दरवाजों से देवी लक्ष्मी उनके लिये ढ़ेर सारा आशीर्वाद, सुख, संपत्ति और यश लेकर आएंगी। इस त्योहार में लोग अपने घरों को सजाने के साथ रंगोली से अपने प्रियजनों का स्वागत करते है। नये कपड़ों, खुशबुदार पकवानों, मिठाईयों और पटाखों से पाँच दिन का ये उत्सव और चमकदार हो जाता है।
दिपावली के पहले दिन को धनतेरस या धनत्रेयोंदशीं कहते है जिसे माँ लक्ष्मी की पूजा के साथ मनाया जाता है। इसमें लोग देवी को खुश करने के लिये भक्ति गीत, आरती और मंत्र उच्चारण करते है। दूसरे दिन को नारक चतुर्दशी या छोटी दिपावली कहते है जिसमें भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है क्योंकि इसी दिन कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। ऐसी धार्मिक धारणा है कि सुबह जल्दी तेल से स्नान कर देवी काली की पूजा करते है और उन्हें कुमकुम लगाते है।
तीसरा दिन मुख्य दिपावली का होता है जिसमें माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है, अपने मित्रों और परिवारजन में मिठाई और उपहार बाँटे जाते है साथ ही शाम को जमके आतिशबाजी की जाती है।
चौथा दिन गोवर्धन पूजा के लिये होता है जिसमें भगवान कृष्ण की अराधना की जाती है। लोग गायों के गोबर से अपनी दहलीज पर गोवर्धन बनाकर पूजा करते है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उँगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर अचानक आयी वर्षा से गोकुल के लोगों को बारिश के देवता इन्द्र से बचाया था। पाँचवें दिन को हमलोग यामा द्वीतिय या भैया दूज के नाम से जानते है। ये भाई-बहनों का त्योहार होता है।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजा
अधिकांश घरों में दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा की जाती है। हिन्दू मान्यतानुसार अमावस्या की रात्रि में लक्ष्मी जी धरती पर भ्रमण करती हैं और लोगों को वैभव का आशीष देती है। दीपावली के दिन गणेश जी की पूजा का यूं तो कोई उल्लेख नहीं परंतु उनकी पूजा के बिना हर पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए लक्ष्मी जी के साथ विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की भी पूजा की जाती है।
दीपदान
दीपावली के दिन दीपदान का विशेष महत्त्व होता है। नारदपुराण के अनुसार इस दिन मंदिर, घर, नदी, बगीचा, वृक्ष, गौशाला तथा बाजार में दीपदान देना शुभ माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन यदि कोई श्रद्धापूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा करता है तो, उसके घर में कभी भी दरिद्रता का वास नहीं होता। इस दिन गायों के सींग आदि को रंगकर उन्हें घास और अन्न देकर प्रदक्षिणा की जाती है।
दीपावली पर्व भारतीय सभ्यता की एक अनोखी छठा को पेश करता है। आज अवश्य पटाखों की शोर में माता लक्ष्मी की आरती का शोर कम हो गया है लेकिन इसके पीछे की मूल भावना आज भी बनी हुई
घर पर बनाये खूबसूरत दिए
दशहरे के बाद से रंगोली बनाना और दिवाली की अन्य तैयारियां भी घरों में शुरू हो जाती है। साफ-सफाई, रंगाई-पुताई के साथ घर को सजाने के लिए कई तरह की पारंपरिक चीजों का प्रयोग किया जाता है। इनमें खास तौर से.इनमें खास तौर से दीये भी शामिल हैं जो दीपावली पर घर को रौशन कर उसके सौंदर्य को भव्यता प्रदान करते हैं।
1 सबसे पहले बाजार से अपने मनपसंद आकार और प्रकार के दीपक खरीद लाइए। इसके बाद शुरू कीजिए इन्हें सजाने की तैयारी। लेकिन इन्हें पानी में डुबोकर रखना बिल्कुल न भूलें, अन्यथा यह रंग को सोख लेंगे
2 अब जब दीये सूख जाएं, तब उसपर अपनी पसंद का ऑइल या फेब्रिक रंग कीजिए। फेब्रिक रंगों में, बाजार में बेहद सुंदर और चमकदार रंग उपलब्ध हैं, जिन्हें आप प्रयोग कर सकते हैं।
3 कोशिश किजिए कि दीयों पर लाल, मरून, हरा, पीला, नीला या सुनहरा रंग प्रयोग करें। इनके अलावा भी आप कोई भी पारंपरिक गाढ़े रंग का प्रयोग कर सकते हैं। इस तरह के रंग त्योहारों पर ज्यादा खिलते हैं।
4 अब आपने दीपक को रंगकर आधार तैयार कर लिया है। इस पर कई तरह के डिजाइन अपने अनुसार बनाए जा सकते हैं। चाहें तो ब्रश की सहायता से अन्य रंगों का प्रयोग कर डिजाइन बनाएं या फिर कोन की सहायता से सजाएं।
5 आप चाहें तो दीपक पर सुनहरे रंग से ब्रश की सहायता से बारीक डिजाइन बना सकते हैं। चाहें तो मेंहदी डिजाइन भी बना लें, यह भी पारंपरिक रूप से खूबसूरत लगेगी। अगर आपने दीये पर सुनहरा रंग किया है, तो आप लाल, मरून या फिर हरे रंग से डिजाइन बनाएं।
6 कोन की सहायता से भी खूबसूरत डिजाइन बनाई जा सकती हैं। बाजार में विभिन्न रंगों के सिरेमिक व फेविकॉल के चमकदार कोन उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल आप कर सकते हैं। अगर चाहें तो घर पर ही फेविकॉल व सिरेमिक. में रंग मिलाकर गाढ़ा घोल बनाकर कोन में भर दें।
7 आप चाहें तो इन दीपों को कांच, कुंदन व मोतियों से सजा सकते हैं। फेविकॉल की सहायता से इन्हें दीपों पर चिपकाएं, और कोन या ब्रश की सहायता से इनके चारों ओर लाइन खींचें।
8 आप चाहें तो कलावा एवं कुमकुम हल्दी की सहायता से दीपों को सजा सकते हैं, और इन पर चावल चिपकाकर इन्हें बिल्कुल पारंपरिक सुंदरता दे सकते हैं।
9 अगर आप इन सभी चीजों का प्रयोग न करना चाहें, तो कागज की सहयता से भी दीपों को सजा सकते हैं। जी हां, अलग-अलग रंगों के कागज लेकर या फिर उपहार पैक करने वाले कागजों का इस्तेमाल आप इन दीपों को सजाने केलिए कर सकते हैं। इसके लिए बस कागज को काटकर दीपों पर चिपकाना है।
10 अगर रंगोली की सहायता से दीपकों को सजाना चाहते हैं, तो सबसे बेहतर तरीका है, रंगोली के छापों का प्रयोग। जी हां, फेविकॉल लगाने के बाद आप छापे की सहायता से दीपों को सजा सकते हैं। इस पर केवल सफेद रंगोली का प्रयोग भी किया जा सकता है
रंगोली तरह तरह की
व्रत त्योहार हो या कोई पूजा अनुष्ठान...किसी भी प्रकार के मंगल कार्य में रंगाली का बहुत महत्व है। और अगर बात की जाए दीपों के पर्व दिवाली की, तो रंगोली के बिना इस त्यौहार की कल्पना भी नहीं की जा सकती समय के साथ-साथ रंगोली बनाने के तरीकों में भी बदलाव आया है, लेकिन इसे लेकर उत्साह और बढ़ा ही है। यही कारण है कि पारंपरिक रंगोली का नयापन भी मन को मोहता है। आइए जानते हैं, कितने प्रकार की बनती है
1 रंगों की ओली - रंगों की सहायता से, कई लयबद्ध बिंदुओं को मिलाते हुए रंगोली की कई सुंदर-सुंदर आकृतियां बनाई जाती हैं, जो बेहद आसान और आकर्षक होती है। यह तरीका आसान होने के कारण युवतियों के साथ ही छोटी बालिकाएं भी आसानी से रंगोली को आकार दे सकती हैं। इसके बाद इसमें अपने अनुसार रंग भरकर इसे और भी आकर्षक बनाया जाता है। तब तैयार होती है, खूबसूरत रंगोली।
2 मांडना - वर्तमान में रंगोली का प्रचलन सबसे अधिक है, लेकिन पुरानी परंपरानुसार आज भी आंतरिक इलाकों में मांडने बनाए जाते हैं। यह घर के आंगन या फर्श पर प्राकृतिक रंगों का उपयोग कर आकर्षक ढंग से बनाएजाते हैं। आप अगरएक ही दिन रंगोली नहीं बनाना चाहते तो मांडना पारंपरिक और खूबसूरत तरीका है।मांडने की एक खासियत यह भी है, कि यह लंबे समय तक बने रहते हैं। इसे बनाने के लिए गीले रंगों का प्रयोग किया जाता है जो सूखने के बाद लंबे समय तक उतने ही आकर्षक नजर आते हैं।
3 फूलों की रंगोली - रंगोली बनाने का एक बेहद खूबसूरत तरीका यह भी है। दुनिया में फूलों से ज्यादा सुंदर चीज और कुछ भी नहीं। इन्हीं रंगबिरंगे फूलों और पंखुड़ियों का प्रयोग कर जब रंगोली बनाई जाती है, तो. यह न केवल आंखों को खूबसूरत दिखाई देती है, बल्कि इसकी महक से आपका मन भी इस खूबसूरती को महसूस करने लगता है। दक्षिण भारत में खास तौर से इस तरह की रंगोली बनाई जाती है, और अब हर जगह यह प्रचलन है।
4 तैलीय रंगों की रंगोली - जी हां, तैलीय रंगों और सामान्य पक्के रंगों द्वारा भी रंगोली बनाई जाती है, जो लंबे समय तक बरकरार रहती है। इसे बार-बार बनाने की आवश्यकता नहीं होती। और आप इसके लिए जितने चाहें उतने रंगों का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इसे सीधे ब्रश की सहायता से मनचाही आकृतियों में घर के आंगन, फर्श या फिर आप जहां चाहें बना सकते है
5 कृत्रिम सांचों से बनी रंगोली - यह रंगोली बाजार में उपलब्ध अलग-अलग आकृतियों और सांचों से बनाई जाती है, जिसके लिए आपको हाथ से मेहनत करने की जरूररत नहीं होती। बस सांचे में रंगोली भरकर अपने अनुसारअपने अनुसार आकृतियां उकेरी जा सकती हैं। इसमें पहले जमीन पर छन्नी से रंगों को समान रूप से फैलाया जाता है, उसके बाद सांचे या फिर छापों की सहायता से सफेद रंगोली का उपयोग कर आकृतियां बनाई जाती है। यह रंगोली अापके लिए बनाना अासान भी होगा और समय की बचत भी होगी।
6 प्राकृतिक रंगोली - अगर आप बाजार में मिलने वाली रंगोली का उपयोग नहीं करना चाहते, तो घर में प्राकृतिक रंगोली तैयार कर आकृतियां बना सकते हैं। इसके लिए आप घर पर ही सूजी व चावल के आटे को अलग-अलग रंगों में रंग सकते हैं। इसके अलावा हल्दी, मसूर की दाल व बेसन का उपयोग कर सकते हैं।
7 दीपों की रंगोली - घर के बरामदे या बड़े आंगन में कई दीपों और फूलों की पंखुड़ियों को सजाकर बनाई गई यह रंगोली जगमगाती हुई बेहद आकर्षक लगती है। खास तौर से दीपावली की रात यह रंगोली बनाई जाती है, जो पूरेवातावरण को रौशन करने के साथ ही महका देती है। आप इसके लिए खुशबूदार दीपों का प्रयोग भी कर सकते हैं।