डेंगू का कारण और बचाव के प्राकृतिक एवं घरेलु तरीके(Dengue Fever Symptoms, Treatments,Prevention)
हर साल दुनिया में लगभग १० करोड़ लोग मच्छरों के काटने से हुयी बीमारी का शिकार होते है भारत में भी हर साल यह आकड़ा बढ़ता ही जा रहा है हमें रोज समाचार पत्रो में या न्यूज़ चैनल पर मच्छरों के काटने से मलेरिया , डेंगू फीवर,चिकनगुनिया, ज़ीका वॉयरस का आतंक देखने को मिलता है समय की जरूरत है की इस बीमारी के बारे में लोगोंमें अधिक से अधिक जागरूकता फैलाई जाये
डेंगू बुखार क्या है
Dengue एक तरह का बुखार है – जिसे ‘डेंगी’ / ‘डेंगू बुख़ार’ / ‘डेंगू फीवर’ / ‘डेंगू ज्वर’ और अंग्रेज़ी में Dengue के नाम से भी जानते है Dengue को “हड्डीतोड़ बुख़ार” के नाम से भी जानते है, क्योंकि इससे संक्रमित व्यक्ति के हड्डियां में इतना अधिक दर्द रहता है कि मानो की उनकी हड्डियां टूट गयी हों । Dengue के प्रति सचेत रहने और आम लोगों में इसके प्रति जागरुकता फैलाने के लिए WHO ने प्रतिवर्ष ’10 अगस्त’ को ‘डेंगू निरोधक दिवस’ मनाये जाने का ऐलान किया है ।
डेंगू बुखार के कारण
डेंगू बुखार दिन में काटने वाले दो प्रकार के मच्छरों से फैलता है। ये मच्छर एडिज इजिप्टी तथा एडिज एल्बोपेक्टस के नाम से जाने जाते हैं। Dengue Fever “डेंगू” वायरस के संक्रमण द्वारा होता है इसे “डेन वायरस” भी कहते हैं। डेंगू वायरस चार प्रकार के होते हैं, जिसे डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4 (DEN-1, DEN-2, DEN-3, DEN-4) के नाम से जानते है । DEN 1 और DEN 3 के मुकाबले DEN 2 और DEN 4 कम खतरनाक होते है । डेंगू सभी मच्छर से नहीं फैलता। यह केवल कुछ जाति के मच्छर से ही फैलता है जो की मुख्यतः “फ्लाविविरिडे” परिवार तथा “फ्लाविविरस” जीन का हिस्सा होते है
डेंगू बुखार के प्रकार
Dengue Fever तीन प्रकार के होते हैं –
➥ क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुख़ार
➥ डेंगू हॅमरेजिक बुख़ार (डीएचएफ-DHF)
➥ डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस-DSS)
क्लासिकल डेंगू साधारण प्रकार का डेंगू है, यह स्वयं ठीक होने वाली बुखार है,अगर सही से देखरेख किया जाए और लापरवाही न बरती जाए तो इसके संक्रमण से मृत्यु होने की आशंका कम होती है
इन तीनों बुखारों में से दूसरे और तीसरे तरह का बुखार सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। इसलिए ऐहतियात बरतना सबसे ज्यादा जरूरी है कि बुखार साधारण डेंगू है, DHF है या DSS है। DHF या DSS बुखार के लक्षण देखते ही उसका फौरन इलाज शुरू कर देना चाहिए नहीं तो रोगी की जान भी जा सकती है।
डेंगू मच्छर की कुछ खास विशेषताएं
➥ यह दिन में काफी ज्यादा सक्रीय होते है ।
➥ शरीर के ऊपर चीते जैसी धारिया बनी होती है ।
➥ यह ज्यादा ऊचाई तक नहीं उड़ है , साधारणतः अपने प्रजनन क्षेत्र के आस पास ही विचरण करते है
➥ ठन्डे और छाँव वाले जगहों पे रहना ज्यादा पसंद करते है
➥ डेंगू के मच्छर का लार्वा साफ़ या जमे हुए पानी में पनपते है जैसे की पानी की टंकियाँ, कूलर में इकट्ठा पानी,, A/C, जानवरो के पानी पीने के बर्तन, पानी के ड्रम, पुराने ट्यूब या टायरों में इकट्ठा पानी, गमले से निकला पानी आदि में पैदा होते है।
डेंगू बुखार के लक्षण
साधारणतः डेंगू बुखार के लक्षण संक्रमण होने के 3 से 14 दिनों के बाद ही दिखता हैं और इस बात पर भी निर्भर करता हैं कि बुख़ार किस प्रकार है । डेंगू बुखार के प्रकार हमने ऊपर बता रखा है । डेंगू बुखार के लक्षण एक से अधिक भी हो सकते है । सामान्यत: डेंगू बुख़ार के लक्षण कुछ ऐसे होते हैं —
ब्लड प्रेशर का सामान्य से बहुत कम हो जाना
* ख़ून में प्लेटलेटस की संख्या कम होना (प्रतिघन सेमी रक्त में <100,000 से कम होना)
* प्लाज्मा रिसाव होने के साक्ष्य मिलना (हेमोट्रोक्रिट में 20% से ज़्यादा वृद्धि या हीमाट्रोक्रिट में 20% से ज़्यादा गिरावट)
* रोगी को अचानक बिना खांसी व जुकाम के तथा ठंड व कपकंपी के साथ अचानक तेज़ बुख़ार चढ़ना
* तेज बुखार (104-105 F) जो की 2-7 दिन तक लगातार रहना
* रोगी के सिर के अगले हिस्से में तेज़ दर्द रहना , आंख के पिछले भाग में रहना , कमर, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना।
* मिचली nausea, उल्टी vomiting आना या महसूस होना
* शरीर पर लाल-गुलाबी चकत्ते red rashes होना
* आँखों लाल रहना ,आँखों में दर्द रहना
* हमेशा थका-थका और कमजोरी महसूश करना
* जोड़ों में सूजन होना
* भूख न लगना, खाने की इच्छा में कमी, मुँह का स्वाद ख़राब होना, पेट ख़राब हो जाना,
* नींद न आना या नींद में कमी
उपरोक्त लक्षण दिखने पर चिकित्सक के पास जाकर डेंगू के लक्षण का संदेह व्यक्त करे । और कतई लक्षणो को हल्के में लेने की भूल न करे नहीं तो जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है ।
डेंगू से बचाव के तरीके ।
* चूँकि डेंगू बुखार, मच्छरों के काटने से होता है । सम्भवतः जितना हो सके मच्छरों से बचाव के तरीके अपनाया जाना चहिए
* ऐसे मच्छरों के शरीर पर चिता जैसी धारियां बनी रहती है, तो ऐसे मच्छरों से सावधान रहे
* आपके घर के आसपास अगर कहीं जलजमाव वाली जगह हो तो, वहा के सफाई का खासा ख्याल रखा जाना चाहिए।
* घर के अंदर और आस-पास कहीं पानी को जमा न होने दें।
* घर के दरवाजे और खिड़कियों की जालियां लगाकर रखे
* टायर, डब्बे ,कूलर, A/C, पशुओ के लिए रखे पानी, गमले में रुके पानी को बदलते रहे और साफ़ करते रहना चाहिए
* खाली बर्तनों को खुले में न रखे उसे ढक कर रखे ।
* घर में सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग करें।
* घर में मच्छर भगाने वाले कॉयल , लिक्विड,इलेक्ट्रॉनिक बैट आदि का प्रयोग करें।
* बाहर जाने से पहले मोस्कीटो रेप्लेंट क्रीम का प्रयोग करें।
* अगर आस-पास में किसी को यह संक्रमण है तो विशेष सावधानी बरते।
* अगर 5 दिन से अधिक समय तक बुखार हो तो तुरन्त चिकत्सक से मिले और रक्तजाच जरूर करा लें ।
डेंगू का उपचार ।
Dengue Fever का फिलहाल अभी तक विज्ञान जगत में कोई सत्यापित इलाज नहीं है – ड़ेंगू से बचाव / Dengue prevention ही डेंगू का सबसे बेहतरीन इलाज है । डॉक्टर की सलाह अनुसार दवा और ब्लड टेस्ट करवा कर काफी हद तक इसपे काबू किया जा सकता है ।
डेंगू से बचने के प्राकृतिक एवं घरेलू तरीके
➥बकरी का दूध :- डेंगू बुखार, में ठंडा, ताजा बकरी का दूध, 250 मिलीलीटर की मात्रा में एक दिन में दो बार दिया जाता है। डेंगू बुखार के मुख्य जटिलताएँ हैं सेलेनियम Selenium की कमी है और प्लेटलेटों platelets में कमी होना होता है । सेलेनियम बकरी के दूध का मुख्य घटक है।डेंगू बुखार के इलाज के लिए बकरी का दूध बहुत उपयोगी है क्योंकि यह सीधे प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है, ऊर्जा देता है, शरीर में जरूरी तरल की आपूर्ति करता है और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी नहीं होने देता।
➥ डेंगू बुखार के लिए गिलोय, पपीता पत्ते, एलोवेरा/मुसब्बर वेरा का रस और बकरी का दूध देना लाभप्रद होता है।
➥गिलोय :- गिलोय के तनों को तुलसी के पत्ते के साथ उबालकर डेंगू पीड़ित व्यक्ति को देना चाहिए । यह मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने, इम्युनिटी और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने और बॉडी को इंफेक्शन से बचाने में मदद करती है।
➥हल्दी :- हल्दी में मेटाबालिज्म बढ़ाने का गुण होता है, यह दर्द और घाव को जल्दी ठीक करने में भी उपयोगी होता है । हल्दी का सेवन दूध में मिलाकर किया जा सकता है।
➥तुलसी के पत्ते और काली मिर्च :- 4 – 5 तुलसी के पत्ते, 25 ग्राम ताजी गिलोय का तना लेकर कूट लें एवं 2 – 3 काली मिर्च पीसकर 1 लीटर पानी में गर्म कर ले । जब पानी की मात्रा 250 M.L. तक रह जाए , तो उतार ले और यह काढ़ा रोगी को थोड़े समय के अंतराल पे देते रहे,यह ड्रिंक आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है और एंटी-बैक्टीरियल तत्व के रूप में कार्य करती है।
➥पीपते के पत्ते :- पपीते के पत्तियो को गरम करके या ”पत्तियों को कूट कर उपयोग में लाया जा सकता हैं । यह बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकालने तथा प्लेटलेट्स की गिनती बढ़ाने में हेल्प करता है ।
➥मेथी के पत्ते :- इसकी पत्तियों को पानी में भिगोकर, छानकर पानी को पीया जा सकता है। इसके अलावा, मेथी पाउडर को भी पानी में मिलाकर पी सकते हैं। यह पत्तियां बुखार कम करने में सहायता करती है ।
➥गोल्डनसील :- इसका उपयोग जूस बनाकर या चबाकर किया जाता है। इसमें डेंगू बुखार को बहुत तेजी से खत्म कर शरीर में से डेंगू के वायरस को खत्म करने की क्षमता होती है।यह नार्थ अमेरिका में पाई जाने वाली एक हर्ब है।
** चेतावनी –
➥ अगर किसी को बुखार हो रखा हो तो, (खासकर डेंगू के सीजन में) तो एस्प्रिन (Asprin) बिल्कुल न लें। यह मार्केट में इकोस्प्रिन (Ecosprin) नाम से मुख्यतः मिलता है ।
➥ ब्रूफेन (Brufen), कॉम्बिफ्लेम (combiflame) आदि एनॉलजेसिक से भी परहेज करें क्योंकि अगर डेंगू है तो इन दवाओं से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं और शरीर से ब्लीडिंग शुरू हो सकती है।
➥ किसी भी तरह के बुखार में सबसे सेफ पैरासेटामॉल (Paracetamol) लेना है।
➥ किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत चिकित्सा शुरू करने से पहले चिकित्सक/वैद्य से परामर्श करना आवश्यक है ।